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The book presents in a simple and lucid style a general survey of the subject of arbitration as contained in the Arbitration and Conciliation Act, 1996. The work is supplemented by copious references to English and Indian cases. An immensely useful book to the students of law as well as the lawyer.
माध्यस्थम्, सुलह एवं अनुकल्पी विवाद निप्टान विधि जो कि विवादों के निपटारे के लिए एक सशक्त पद्धति है , यह नया अधिनियम माध्यस्थम् अधिनियम को पूर्ण रूप से मजबूत बनाता है ताकि वह पक्षकारों द्वारा पेश किए गए विवाद का पूर्ण तथा अन्तिम फैसला कर सकें। पुस्तक का यह चतुर्थ अंक अभूतपूर्व परिवर्तनों के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है। हिन्दी पुस्तक में वादों (केसेज) को अंगेजी़ में देने की पहल की गई है ताकि पाठक आसानी के साथ किसी भी केस से संबंधित विस्तृत जानकारी इण्टरनेट या पुस्तक आदि माध्यम से ढूंढ सकें इसके अलावा अंग्रेज़ी वर्णानुक्रम में 'टेबिल आँफ केसेज' दिए गए हैं जिससे किसी खास केस को आसानी के साथ पुस्तक में खोजा जा सके।
पूर्व की भांति पूरी पुस्तक को पाँच प्रमुख भागों में बाँटा गया है यानि माध्यस्थम् कार्यवाहियों का संचालन, माध्यस्थम् अवार्ड जबकि भाग दो विदेशी अवार्डों के प्रवर्तन से संबंधित है, भाग तीन सुलह भाग चार अनुपूरक उपबन्ध व भाग पाँच में अनुकल्पी विवाद निपटारे की चर्चा की गई है। सभी खण्डों में नवीनतम विषय सामग्री के साथ-साथ विभिन्न न्यायालयों के नूतन न्यायिक निर्णय दिए गए हैं ताकि इस क्षेत्र में हो रहे न्यायिक परिवर्तनों से पाठक वर्ग परिचित हो सकें।
आशा ही नहीं वरन् पूरा विश्वास भी है कि सरल व स्पष्ट भाषा में अनुभवी विद्वान लेखक डा. अवतार सिंह द्वारा लिखी ये पुस्तक विधि क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक पाठक वर्ग के लिए बहुपयोगी साबित होगी।
भाग 1 - माध्यस्थम्
अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक माध्यस्थम्
भाग 2 - कतिपय विदे अवार्ड का प्रवर्तन
भाग 3 – सुलह
भाग 4 - अनुपूरक उपबन्ध
भाग 5 - अनुकल्पी विवाद निपटारा
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